मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023

Dear ज़िन्दगी !

 


Dear ज़िन्दगी !


किसी ने कहा ... नींद आ रही है
कल बात करते है न ...
मानों सदियां गुज़र गई ...
यादें आईं पर
वो कल अब तक न आई / /

तो उससे कहना कि ...
 
काश! तब ... 
"नींदों को परे रख ,
आगोश में अपने मुझे रहने दो / /
सवेरा कल का किसने देखा ,
जो कहना है अभी कहने दो / / "

दिले ख्वाईशें हर तेरी
पूरी करता मैं ... पर कमबख़्त
तू किसी और के दिल में वसती है / /

माना ! तुम अमानत
किसी और कि हो ... मेरी जान ,
मेरे ख्वावों ख्यालों में तो 
तुम अब भी रहती हो/ /

इतनी तारीफ काफी है या
शब्दों को थोड़ा और मरोरू ,
तुम कहो तो थोड़ा
झुठ और बोलूं / /

... आतिश


शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

रिश्वत ! एक सरकारी प्रथा


 



रिश्वत ! एक सरकारी प्रथा  

 

हाय ! हाय रे ! ये सरकारी प्रथा ...
धर्म-जात कुल का इसमें भेद नहीं
दिन हो या रात वक्त का कोई खेद नहीं
चपरासी से बाबू तक बड़ी निष्ठा से जिसे निभाता
है ... वही प्रथा रिश्वत कहलाता है / /
 
पचास हजार महिना कमाने वाला ... 
दिन के पचास रुपये कमाने वाले से 
रिश्वत माँगता है ... 
फिर स्वयं को बड़ा बाबू कह इतराता है / /
 
न्याय नीति धर्म कर्म कि बात करता ... 
पता नहीं कब लोभी मन के 
अधीन हो जाता है ... 
फिर स्वयं को पढ़ा-लिखा विद्वान बताता है / /
 
इज्ज़त मान-सम्मान कुल कि दुहाई देता ...
शब्दों कि गरिमा 
भुल वो जाता है ...
फिर स्वयं को राम सा चरित्रवान दिखाता है / / 
 
असभ्य समाज में सभ्य आचार का 
परचम लहराता ... 
दुसरे पल ही 
उसी परचम में लिपटकर 
मौन हो जाता है ... 
फिर स्वयं को " बरवरी " सा लाचार ...
अफसोस जताता है / /

हाय ! हाय रे ! ये सरकारी प्रथा ...

... आतिश

शनिवार, 2 सितंबर 2023

Dear ज़िन्दगी ...

 




 

 







 

Dear ज़िन्दगी !

बड़ा होकर भी देख लिया ... 
समझदारी कि चादर ओढ़
बुढ़ापे को भी टटोल लिया ... 
अब नासमझ बचपन कि 
गहरी चोट भी मासुम सी लगती है . . . 
जवानी कि ठोकड़ों के आगे 
वो मौन सी दिखती है / /

इरादतन कौन बड़ा होना चाहता है ज़नाव ...
वो तो वक्त है जो उम्र का एहसास कराती है / /

पीछे छुटने का डर , आगे निकलने कि होड़  
गिरने का अफ़सोस , संभलने का शऊर 
उफ् ! तुझे ( ज़िन्दगी )जीने कि ये जद्दोजहद... //

कैसे बतायें ! समझायें !  
हम ... लोगों को 
अपने दिल कि कैफ़ियत / /

 ... आतिश

शनिवार, 7 जनवरी 2023

Dear ज़िन्दगी !

 
आतिश


Dear ज़िन्दगी !


अभी अभी ख़्वाबों से 
मिलकर आया हूँ
थोड़ी हँसी थोड़ी गमों कि 
फुहार साथ लाया हूँ / /

मिट्टी डाल दी थी जिन जज़्बातों पर ...
कसमें खायीं थी दोवारा न मिलने कि 
हाथ रख जिन माथों पर ... पीछे ! 
फिर उन्हें झुलसने को छोड़ आया हूँ / /

ऐ जिन्दगी ! 
बिछड़े तुझसे तेरे रंगीन पलों से
मिलकर आया हूँ ...
हाँ ! अभी अभी ख़्वाबों से 
मिलकर आया हूँ / /

--- आतिश

सोमवार, 12 दिसंबर 2022

मन के भाव ...



Dear ज़िन्दगी !


भुल जाऊँ रास्ता तो क्या बात है

जो कदम -दर- क़दम तू मेरे साथ है / /


तेरी सोहबत में जाना है मैनें

किसी का साथ लाइब्रेरी में पड़े उस 

किताब के जैसी है ... जिसे

लोग आते है खोलते है 

अपने मतलव  के लिये / /


ऐ ज़िन्दगी !

बहुत हो चुका ... अब रहने दे ,

बहुत मज़ा तू ले चुकी मेरा ... 

अब मज़ा तेरा भी लेने दे ... 

दो - चार पल ही सही ... 

हाँ! अब मुझे भी सुकून से जीने दे / /


--- आतिश



मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

है दरम्याँ क़शमकश ...


 



घर पहुंचा तो

दूरियों का एहसास मिट गया / /

उसने पुछा !

वज़हे - इत्मीनान क्या है -

मैंने कहा ... मैं हूँ तुम हो ,

है दरम्याँ क़शमकश ...

इत्मीनान कहाँ है / /


---आतिश


बुधवार, 30 नवंबर 2022

Dear ज़िन्दगी ! तू कितना बदल गयी ...




Dear ज़िन्दगी !

घर बदला शहर बदला  
तुम कहां खो गई ,
तेरी बातें तेरा मुस्कूराना 
तेरा शर्माना बदला
तू बिलकुल नई हो गयी / /


कल सफ़र में था
आज सफ़र से उतरा हूँ ,
कल दूरीयाँ पूछती थी मुझसे
आज दूरीयों से पुछता हूँ
वेशर्म तू कहां रैह गयी / /


मुझे याद है ...
उबड़ खाबड़ रास्तों कि अटखेलियां ,
कैसे भुल जाऊँ ...
मामुली से कागज़ पर उखेड़ी 
विकल्पों वाली ... वो पहेलियां / /


ब गुजरता हूँ मैं तंग गलियों से ...
घेर पुछती है यादों कि टोलिया ,
कहां छुट गए वो दोस्त - यार और 
मुस्काती कानों कि ... वो सुनहरी बालियां / /

ऐ ज़िन्दगी ! तू कितना बदल गयी / /


--- आतिश 

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