घर पहुंचा तो
दूरियों का एहसास मिट गया / /
उसने पुछा !
वज़हे - इत्मीनान क्या है -
मैंने कहा ... मैं हूँ तुम हो ,
है दरम्याँ क़शमकश ...
इत्मीनान कहाँ है / /
---आतिश
Dear ज़िन्दगी ! बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ... यार कोई आईंना लाओं, देखना है कितना बदला हूँ मैं ।। यादों कि किचड़ में रोज उतरता ह...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें