Dear ज़िन्दगी !
बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ...
यार कोई आईंना लाओं,
देखना है कितना बदला हूँ मैं ।।
यादों कि किचड़ में रोज उतरता हूँ ...
यार कोई आईंना लाओं,
देखना है कितना मैला हूँ मैं ।।
सबक़ मिला है अधुरेपन का नदी के
दो किनारों से ...
यार कोई आईंना लाओं,
देखना है कितना संभला हूँ मैं।।
...आतिश
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