सोमवार, 12 दिसंबर 2022

मन के भाव ...



Dear ज़िन्दगी !


भुल जाऊँ रास्ता तो क्या बात है

जो कदम -दर- क़दम तू मेरे साथ है / /


तेरी सोहबत में जाना है मैनें

किसी का साथ लाइब्रेरी में पड़े उस 

किताब के जैसी है ... जिसे

लोग आते है खोलते है 

अपने मतलव  के लिये / /


ऐ ज़िन्दगी !

बहुत हो चुका ... अब रहने दे ,

बहुत मज़ा तू ले चुकी मेरा ... 

अब मज़ा तेरा भी लेने दे ... 

दो - चार पल ही सही ... 

हाँ! अब मुझे भी सुकून से जीने दे / /


--- आतिश



1 टिप्पणी:

  1. आतिश जी
    बहुत अच्छा लिखा आपने , अभिनंदन !
    Tarun K Thakur
    www.whoistarun.blogspot.com

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