बुधवार, 1 जून 2022

वेश्या संग संवाद …।

 

 


वेश्या संग संवाद

 

कुछ दूर से देखा था ,
वो चमचमाती रूपहली थी।
पास जाकर पुछा नाम उसका---  
 
वो बोली हर दिन पैदा होती हूँ मैं ,
हर रात नामकरण होता है मेरा ।
माँ बाप का पता नहीं ,
हाँ स्‍थायी पता है रंडीखाना मेरा ।
हाँ वो रंडी थी।
 
तन गोरा लंबे काले केश
ख्‍वाईशों से लबालब भरी गहरी आँखें ,
ज़ुबान उसकी गंदी थी ।
हाँ वो रंडी थी।
 
बिकनें  को तैयार थी लुटने को बेक़रार थी
पर शरीफ बाजार की तवज्‍जोह
उसपर , थोड़ी ठण्‍डी थी । 

हाँ वो रंडी थी।

 
संवाद :
मैंने कहा-
जमाने की बेहयाई इतनी बढ़ी न होती
जो तुम न होती दुनिया इतनी वेशर्म न होती ।
 
जबाव: जो मैं न होती तु न होता जमाना न होता ,
दिलफेक आशिकों के दिल ठोकड़ों में पड़े होते
जो मेरा आसियाना न होता।
 
मैंने कहा-
अपनी बेहयाई को समाज कि जरूरत मत बता ,
अपनी हवसको सफेद चादर मत उढ़ा ।
नारी माँ –बहन-बेटी है ,इन सब के सर युं झुके न होते
जो तु न होती नारी युं बदनाम न होती ।
 
जबाव: जो कल रंभा- मेनका – उर्वशी न होती
स्‍वर्ग कि छटा इतनी मादक न होती,
जो आज मैं न होती माँ – बहन – बेटी और अधिक रोती।
 
मैंने कहा-
जो तु न होती ये बदनाम गलियां न होती ,
कई फूल खिलतें इनमें बच्‍चे भी खेलते 
शाम ढले  साफ-सुथरी इक दुनिया यहाँ भी सोती।
 
जबाव: ये गलियां तुनें बसायी और
बदनामी सारी सर मेरे आयी ।
जो वेशर्म तु न होता वेहया मैं न होती ,
जो तेरी 'हवस ' न होती मैं यहाँ न होती ।
 
और फिर सभ्‍य समाज की
असभ्‍य सत्‍य को स्‍वीकार कर
मैं मौन हो गया।                                                             

 

 --- आतिश

 


( नोट: शब्‍दों के लिए मुझे खेद है। )

 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपने जिस विषय पर लिखा है वो काबिले तारीफ है ।। भाव भी बहुत अच्छे हैं । एक गुज़ारिश है कि टाइप करते हुए वर्तनी पर विशेष ध्यान दें । अच्छी रचना पढ़ते हुए मात्राओं की गलतियाँ व्यवधान पैदा करती हैं । इस बात को अन्यथा न ले कर सुधारने का प्रयास कीजियेगा ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मैम,
      आपके स्नेह . सहयोग एवं सुझाव के लिए बहुत - बहुत
      धन्यवाद!

      हटाएं
    2. आदरणीय मैम .
      वर्तनी के बारे में कहा है आपने | कृप्या मेरा मार्गदर्शन करें एवं
      एक-दो उदाहरण देने कि कृपा करें ।
      पुनः ससम्मान धन्यवाद्!

      हटाएं
  2. इन कुरीतियों पर रचना अच्छी है, परंतु जिस शब्द को आपने प्रयोग किया उसे पुराने समय में नगरवधू कहते थे

    जवाब देंहटाएं
  3. तन गोरा लंबे काले केश
    ख्‍वाईशों से लबालब भरी गहरी आँखें ,
    ज़ुबान उसकी गंदी थी ।
    कभी ख्वाहिश की जगह मजबूरी भी हो सकती है उन आँखो में
    बहुत सोचनीय सृजन एवं बेबाक लेखन

    जवाब देंहटाएं
  4. हकीक़त को बयां करता हुआ बहुत ही बेहतरी सृजन!
    वर्तनी में कुछ त्रुटियां हैं उसे सुधारने की जरूरत है!
    उदाहरण के लिए- फूल की जगह फुल लिख रखा आपने
    ऐसे ही तूने की जगह तुने है, वसायी- बसायी
    स्वर्ग कि - स्वर्ग की , पुछा न होकर पूछा होगा,
    इन सब कि सरे युं झुकी का न होती - इन सबका सर यूं झुका न होता, होना चाहिए!
    ये एक बार ध्यान से पढ़ कर सुधार कर लीजिए!
    शुरुआत में मुझसे भी बहुत गलतियां होती थी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Good morning Manisha ji,
      First of all thanks . मेरे पोस्ट पर आने के लिय ।
      and secondly मै कोशिश करूंगा अपनी हिन्दी को थोड़ा अच्छा करने की।
      Sorry again ! आपको post पढ़ने में परेशानी हुई । But
      मेरा मानना है कि भाव एवं वर्तनी में से हमें भाव को Imp. देना चाहिए।
      और धन्यवाद! आपने उदाहरण सहित त्रुटिया बताया है।

      हटाएं
  5. हकीक़त को बयां बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने वर्तनी पर विशेष ध्यान दें.......आभार

    जवाब देंहटाएं

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