सोचता हूँ !युं उचक्कर चाँद को छूने कि ज़िदजिन्दगी कि सबसे बड़ी गलती न बन जाए,डरता हूँ!दिल तो कई बार टुटा है इस बारघर उम्मीदों का न टुट जाए।फिक्रमंद भी हूँ और ख्वाईशमंद भी
देवदार के पत्तों से ओस को हथेली परउतारने कि कोशिशभारी न पड़ जाए ,लेने गए उनके होंठो कि मिठास औरगले मीठे कि बिमारी न पड़ जाए।हंसू जी भर के या मुस्कुराने से
काम चल जाएगा ,उतरूं थोड़ा और आस्मानों से याख्यालों से काम चल जाएगा।--- आतिश_What to do ! Do am I ?_
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय मैम,
हटाएंमेरे पोस्ट पर आने के लिए धन्यवाद ! आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए ऊर्जा लुल्म है।
आदरणीय आतिश जी, नमस्ते 🙏! अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंखासकार ये पंक्तियाँ :
लेने गए उनके होंठो कि मिठास और
गले मीठे कि बिमारी न पड़ जाए।
हार्दिक साधुवाद!
कृपया दृश्यों के संमिश्रण और पृष्ठभूमि में मेरी आवाज में कविता पाठ के साथ निर्मित इस वीडियो को यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर देखें और कमेँट बॉक्स में अपने विचारों को देकर मेरा मार्गदर्शन करें. हार्दिक आभार! ब्रजेन्द्र नाथ
यू ट्यूब लिंक :
https://youtu.be/RZxr7IbHOIU
मान्यवर धन्यवाद् !
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया बहुमुल्य !
बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबधाई
मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
आदरणीय सर ,
हटाएंदिल से आपका धन्यवाद !
आदरणीय सर ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को अपने मंच पर जगह देने हेतु
बहुत -बहुत धन्यवाद !
वाह♥️
जवाब देंहटाएंबेहतरीन👌
प्रिय बंधु ,
हटाएंप्यार भरे प्रतिक्रिया के लिए दिल से धन्यवाद !
..सुन्दर बिम्बों वाली बहुत प्रभावशाली कविता
जवाब देंहटाएं