बंटवारा
रिश्तों
कि जंग में अपनों का एतवार गया,
कल तक
जो कहते थे भाई- भाई ,
साथ जिएगें साथ
मरेगें
वो भाई अचानक हमसे रूठ गया।
दिल
टुटा तो रोई आंखें ,
लगा कोई खंजर
धोखे
वाला पीठ पीछे वार गया।
जीत गई
गलतफैमियां मैं वेवस हार गया।
रसोई कि
नोक-झोंक
आंगन कि तकरार बनीं,
चुपके
से आई कलह ,
घर से सुख- शांति का महौल गया।
रिश्तों
में पड़ी दरार
मतभेद मनभेद बना,
टुट गया
फिर एक घर
मुहल्ले भर में ये शोर गया।
जीत गई
गलतफैमियां मैं वेवस हार गया।
कितना
संभालता मैं खुदको
भाभी- भाई – भतीजों को ,
मैं चुप
क्या हुआ
वो सब हमसें छुट गया।
फिर
घड़ी आई बंटवारे की
सावन में जलते अंगारें की ,
घर दो महला मिला किसी को
किसी के हिस्से व्यापार गया।
जीत गई
गलतफैमियां मैं वेवस हार गया।
कहते थे
बावु जी – मेरे बच्चे अच्छे है
इक-दुजे को समझते है,
बंटवारा
और मेरी खुन में -----।
इस बंटवारे
कि आहुती में
बाबु जी का – हॉं अपने बाबु जी का –
प्यार-
भरोसा- वो विस्वास गया।
जीत गई
गलतफैमियां मैं वेवस हार गया।
क्या
खोया क्या पाया मैंने
जो खोया
रिश्तों को ,
संग मेरे घर का सिंगार गया
सारा
संसार गया।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२१-०५-२०२२ ) को
'मेंहदी की बाड़'(चर्चा अंक-४४३७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीय .
हटाएंआभार एवं धन्यवाद!
जीवन की सच्चाई को कहती रचना । थोड़ा वर्तनी पर ध्यान दें ।।
जवाब देंहटाएंआदरणीय,
हटाएंआपके सहयोग एवं सुझाव के लिए दिल से धन्यवाद!
रिश्तों की भीतरी परतें खोलती
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण रचना
मान्यवर,
हटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद !
रिश्तों के संग में अपनों का एतवार गया ,
जवाब देंहटाएंजीत गई गलतफैमियां मैं वेवस हार गया।
.. धीरे-धीरे जब गलतफमियां बढ़ती हैं तो फिर उन्हें सुलझाना किसी के लिए भी सरल काम नहीं रह जाता है और परिणाम पारिवारिक विघटन, आपसी रिश्तों में दरारें कैसे पड़ती हैं आपने उसे बड़ी ही सटीकता और मर्मस्पर्शी ढंग से में प्रस्तुत किया है, जो मन में कई सवाल उठाकर रिश्तों के भंवरजाल में उलझाकर कई प्रश्न हमारे सामने उपस्थित करता है
आदरणीय मैम ,
जवाब देंहटाएंअपना स्नेह एवं सहयोग सदा बनाए रखें।
ससम्मान धन्यवाद !
क्या खोया क्या पाया मैंने
जो खोया रिश्तों को ,
संग मेरे घर का सिंगार गया
सारा संसार गया।,,,,, बहुत भावपूर्ण रचना,सच बात लिखी है आपने रिश्ते अब ऐसे ही ख़त्म हो रहे हैं ।
,
आदरणीय ,
हटाएंससम्मान धन्यवाद् !
भावों का शब्दों में बढ़िया रूपांतरण।
जवाब देंहटाएंमान्यवर,
हटाएंआपने मेरी रचना को सराहा !
तहे दिल से आपका धन्यवाद् !
रिश्तों का टूटना बहुत ही दुखदाई होता है। मर्म को छूती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया मेरे लेखन हेतू ऊर्जा तुल्य है।
ससम्मान धन्यवाद् !
कभी फुरसत मिले तो हमें भी याद करना
जवाब देंहटाएंhttps://sanjaybhaskar.blogspot.com