शनिवार, 4 दिसंबर 2021

अंधेरी रात में ...

 


अंधेरी रात में, 

अंधेरी रात में, घटाओं के बीच एक चमकते सितारें की क्या औकात है,कोई पूछे जरा .है प्राणदान या बादलों कि शिकस्त है।

इन फासलों को कम किया जा सकता है , तु याद कर मुझे और मैं तुझे - इस तरह वर्षों साथ जीया जा सकता है।

जरा पूछे कोई दरों - दिवारों से भी घर क्या होता है , इंसान ही नहीं तन्हा होकर वो भी रोता है।

आज रोया तो मालुम हुआ कि आँखों से आंसु भी बहते हैं वरना अब तक लगता था – मोहब्बत , नफरत , जलन और उम्मीदें ही वस इनमें रहते हैं ।

कोई नहीं अच्छा वस दूसरों कि शिकायत हम करते है , कभी देख लेते खुद में भी झांककर शिकायतों के हम पुतले हैं।

 --- आतिश

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 05 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. आदरणीय ,
      मंच देने के लिए बहुत - बहुत आभार !
      धन्यवाद !

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आज रोया तो मालुम हुआ कि आँखों से आंसु भी बहते हैं वरना अब तक लगता था – मोहब्बत , नफरत , जलन और उम्मीदें ही वस इनमें रहते हैं ।
    बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शि सृजन

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  4. अंधेरी रात में,
    घटाओं के बीच
    एक चमकते सितारे की
    क्या औकात..
    कोई पूछे जरा
    है कोई प्राणदान या फिर
    या फिर किसी बादलों की
    शिकस्त..
    तोड़-फोड़ के लिए
    क्षमा
    सादर..

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  5. माननीय मैम,
    बहुत बहुत आभार ।
    दिल से धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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