यादों से सने दिल पर
यादों से सने दिल पर
वक्त का कफ़न उढ़ा
दे,
गर है मोहब्बत जिन्दा अब तक
तो मौत कि नींद तु उसे सुला दे।
कब तक तकता रहूँ राहों में पड़े
उनके पग चिन्हों को
मैं बैठता हूँ नजर फेर
दो पल के लिये, तु उसे मिटा दें।
स्नेह गंभीर चोट हैं
जो ठैहर ठैहर कर दर्द पहुँचाती है,
पत्थरों से भी कठोर हो जाए मन मेरा,
कोई दवा तु ऐसी पीला दें।
अब मैं भी जी लुं जिन्दगी के
दो-चार पल आराम से,
जो सताते है मुझे दिन-रात
उन लम्हों को मेरे ज़हन से तु भुला दे...।
--- आतिश
बेहतरीन लेखन
जवाब देंहटाएंहमारी विभा दीदी भी पटना में
ही रहती है
मिलिएगा कभी उनसे
शनिवार को उनकी चयनित रचनाएं
पढ़ा कीजिए
सादर..
आदरणीय मैम , धन्यवाद !
हटाएंअपना स्नेह एवं सहयोग बनायें रखें।
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद !
हटाएंअपना सुझाव सहयोग एवं अनुभव युं ही साझा करते है।
पुनः ससम्मान धन्यवाद !
बंधु ! अच्छा लगा, ये देख कर कि आपने शुरू की दो पंक्तियों में सुधार कर दी है, पर समस्त रचना अभी भी सुधार के लिए प्रतिक्षारत है .. वैसे तो .. जैसा कि हमने सुधरा रूप आपकी सुविधा के लिए साझा किया था आपके साथ।
हटाएंपर किसी बुद्धिजीवी चिट्ठाकार ने या आपने स्वयं ही उसे यहाँ से "उड़ा" दिया है .. पता नहीं, अगर आपको मेरी नसीहत बुरी नहीं लगी तो किसी अन्य का "मन खट्टा" नहीं होना चाहिए था .. ख़ैर ... आप मुझ से 9431315512 या 9771457324 पर सम्पर्क कर सकते हैं ... अगर मन में कोई बात हो तो ... ☺☺☺
मान्यवर ,
हटाएंमैं साहित्य का कोई बड़ा जानकार नहीं , नाहीं मुझे हिन्दी कि वारीकियों कि बहुत समझ है ,और बुद्धिजीवी तो मैं बिलकुल नहीं हूँ। मैं सिर्फ इस मंच पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने कि कोशिश करता हूँ अब यदि मेरी रचना मेरी भावनाओं में त्रुटि दिखती है तो मुझे खेद है।
और रही बात शुरू कि दो पक्तियों में सुधार कि तो बता दूँ post के क्षणिक बाद ही मुझे लिंग संबंधि त्रुटि का भान हो गया था पर मुझे नहीं पता था कि कोई उस पर भी React कर सकता है। जिसे मैंने आपकी प्रतिक्रिया के बाद सुधार दिया।
by the way ! आपका सुझाव और सहयोग दोनों अच्छा लगा। आते रहीयें मेरे पेज पर स्वागत है आपका एवं आपकी प्रतिक्रियाओं का ।
ससम्मान धन्यवाद !
हृदयस्पर्श सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय मैम ,
हटाएंआपके प्रतिक्रिया मेरे लिय ऊर्जा तुल्य है
हृदय से धन्यवाद! .
हृदय स्पर्शी भाव।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
हटाएंससम्मान🙏🙏🙏धन्यवाद !
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसम्मानिय मित्र ,
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद !