गुरुवार, 7 अक्तूबर 2021

न जानें कैसी है ये मौत.

 


न जानें कैसी है ये मौत.


न जाने कैसी है ये मौत

अच्‍छे - बुरे   बुढ़े  बच्‍चें  युवा

सबको निगल लेती है ये मौत ।

न दशहरा दिवाली न ईद कि खुशहाली

न सुवह न शाम न परवाह किसी और लम्‍हें की

वस फन उठा डस लेती है ये मौत ।

न जाने कैसी है ये मौत

 

वस जिसे आती है उसे छोड़ हर किसी कि

आँखें नम कर जाती है ये मौत ।

न अरमानों से दोस्‍ती न ख्‍वावों से वैर

न हक्कितों का सहारा और न झूठ से दिललगी

वस कश्‍मशाती बाँहों में भर लेती है ये मौत ।

न जानें कैसी है ये मौत

 

जिन्‍दगी कि रेस में धड़कनों कि

रफ्तार को भी पीछे छोड़ देती है ये मौत

दोस्‍तों से दुश्‍मनों तक उलझनों से उलफतों तक

साँसों से धड़कनों तक एक पल में

सवको अज़नवी कर जाती है ये मौत

न जानें कैसी ये मौत

---

आतिश

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय नमस्ते,
      मेरी रचना को अपने उत्कृष्ट मंच पर साझा करने हेतु
      सहसम्मान धन्यवाद !
      आपका सहयोग एवं प्रतिक्रिया मेरे लेखन के लिय ऊर्जा तुल्य है।
      पुनः धन्यवाद !

      हटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (08 -10-2021 ) को 'धान्य से भरपूर, खेतों में झुकी हैं डालियाँ' (चर्चा अंक 4211) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. महाशय शुप्रभात ,
      मेरे विचारों को अपने चर्चा मंच पर सम्मानित करने के लिय आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
      आपका सहयोग एवं प्रतिक्रिया प्रोत्साहित करने का कार्य करती है।
      कृप्या अपना यह व्यवहारिक स्वभाव हमेशा बनाये रखें ।

      हटाएं
  3. सच में अजीब होती है मौत!
    सबको पता है कि जिंदगी की मंजिल है मौत!
    फिर भी आंखे हो जाती है नम!
    बहुत ही उम्दा रचना!

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. आपका आभार,
      आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिय ऊर्जा तुल्य हैं।
      अपना सहयोग एवं अनुभव कृप्या आगे भी साझा करते रहें।
      धन्यवाद !

      हटाएं

Featured Post

Dear ज़िन्दगी !

  Dear ज़िन्दगी ! किसी ने कहा ... नींद आ रही है कल बात करते है न ... मानों सदियां गुज़र गई ... यादें आईं पर वो कल अब तक न आई / / तो...