गुरुवार, 2 सितंबर 2021

यादों कि कश.

 


यादों कि कश.

दिल का दर्द अब किसको हम बतायें ,

जिन्‍दगी घनी धुप कैसे किसको हम दिखायें ।

न जाने कब कहां टुटा दिल ये मेरा ,

कि अब छाया शामोंसहर घनघोर अँधेरा ।

 

किये हमनें भी दिल से सजदे

उनकी हर उलफत को ,

फिर न जाने कब किसकी लगी

नजर मेरी मोहब्‍बत को ।

 

गिर गई हजार बिजलीयां सितम की

वस उनकी एक वेरूखी से ,

फिर आज भी क्‍यों दिल झुम उठता है

जब मुस्‍कुराती है वो अपनी खुशी में ।

 

इत्‍तफाक था या थी कमवख्‍त

दिल कि साजिश कोई ,

उनका आना फिर छोड़ जाना,

ऐसे मानों हो जख्‍म़ की टिस कोई ।

 

न वो मन को भाया

न तुम दिल को भायी ,

प्‍यार वफ़ा दोस्‍ती कि रस्‍में

फिर भी मैंने क्‍यों निभाई ।

 

वो खुव थी खुवसुरत थी

हसी उनकी सुरत थी ,

वो इतनी मशरूफ रही पहलु में दिल चीखा-चिल्‍लाया

पर लव तो लव नजरें भी उनकी खामोश रही ।

 

--- आतिश

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय ,
    मेरी रचना को अपने मंच पर साझा करने के लिए
    बहुत - बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  2. हृदय तल को छू जाने वाली रचना!

    जवाब देंहटाएं

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