शनिवार, 21 अगस्त 2021

राख़ी.....धागा प्रेम और विश्वास का

राख़ी

सावन संग आई राख़ी

संग मेघ मलहार लाई राख़ी

वर्ष भर जो मिल न सकी

संग राख़ी आई बहना ।

लाड़-दुलार खुशीयों का सारा संसार

एक सुत में गुथ ले आई बहना ।

तिलक आरती मिठाई संग

उपहारों कि पोटरी भी लाई बहना ।

 

बड़ी सहज समझदार मेरी बहना,

सजती-सजाती राखी कलाई पर

शिकायतों वाली एक गांठ भी लगाती बहना ।

तु सुधर जा या सुधार दूं तुझे,

बैठे बिठायें पल भर में

माँ कि माँ बन जाती बहना ।

फिर बारी आती थाली की,

और मेरी पॉकेट खाली की ।

अकुलाता मन शांत हो जाता जब

आशा और उम्‍मीद की थपथपी लगाती मेरी बहना ।

                                 

                   ---आतिश


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