मंगलवार, 10 अगस्त 2021

क्‍या हो तुम…।

 



 


 

क्‍या हो तुम

 

हो परी या अँधेरें में जलता

कोई चराग हो तुम ।

वारिश कि बुंदों में लिपटी

वर्फ कि ठण्‍डी एहसास हो तुम ।

हो हकिक्‍त या बनती बिगड़ती

नाजों से पलकों पे पलती

कोई नन्‍हीं सी ख्‍वाव हो तुम ।

अभी बैठी हो पास मेरे और

इक पल में किरणों से भी तेज

दुर निकल जाती हो तुम ।

क्‍या हो तुम ।

--- आतिश

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