मालुम नहीं …
वो आ रही है फिर वही उलझनों
उलफत के साथ कोई सहमा सा है
मैं हुँ या दिल मेरा मालुम नहीं ।
इतफा़कन धड़कनें फिर सजी है
इक राग इक संगीत के साथ
सिर्फ हरकते है या जज्वात मालुम
नहीं ।
दुरीया वरकरार थी तो अच्छा था
खुशवू उड़ी महक उठा है स्वास कैसा
है
ये पल ये रात मालुम नहीं ।
मौसम फिर वही है या रंग है बादल का
जो बैहक जाऐगी हवाओं के साथ
कौन समझाये ये बात मालुम
नहीं ।
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आतिश
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