मंगलवार, 13 जुलाई 2021

मेरी डायरी से ( 01- 05 - 2014 ) 03

 


A little & happy journey .

कल जब मैं जाते समय ट्रेन में बैठा तो मैंने देखा वहां कुछ लोग पहले से बैठे है मेरे सामने कि खिड़की वाली सीट पर एक लड़की बैठी हुई थी । first of all  मुझे लगा कि उसके पास और उसके सामने बैठा इंसान उसके रिश्‍तेदार है बाद में मालुम पड़ा , वो अकेली थी ।

 Very simple look, Well maintain figure and Traditional outfit.

मेरी नजर उसके पैरों पर गई , वो पैरों कि अंगुलियों में अंगुठी पहने हुई थी । मेरी नजर तुरन्‍त ऊपर उठी उसके माथे पर गौर किया तो बालों में छिपा थोड़ा सा सिन्‍दुर दिखा ।

That is, she was married. बातों-बातों में पता चला कि उसके  father सहरसा के किसी College में Professorहैं और वो सहरसा से ही आ रही थी । उसकी आवाज काफी Soft थी, काफी दिनों बाद कोई ऐसी लड़की मिली थी । ट्रेन कि खरास वाली आवाज के बीच उसकी आवा़ज उसकी बातें एक अजीब सा महौल बना रही थी । जो शायद मुझें अपनी ओर खींच रही थी ।

मेरे साथ बैठे लड़के से मैंने  एग्‍जाम प्रोग्राम देखने को मांग और न जाने क्‍या मन में आया। प्रोग्राम पेपर को आधा फाड़ा जिसके लिये उस लड़के ने ऐतराज़ भी जताया । उस कागज के Back पर मैंने लिखा ...

“I like your simplicity and fairness.”

खुदा आपकी मासुमियत वरकरार रखें । Sorry about this!

और उसे पॉकेट में रख लिया।  एक घंटें का सफर अच्‍छा रहा । ट्रेन रूकी पहले उतर कर आगे कि ओर बढ़ गया फिर हिम्‍मत कर जो होगा देख जाऐगा ये सोच उसके पास जाकर उसे नॉक कर कागज आगे बढ़ाते हुए कहा ये आप के लिए । और मैं आगे बढ़ गया । दो मिनट बाद गाड़ी खुली, तभी वो खिड़की दिखी जहां वो लड़की बैठी हुई थी । और उसकी Activity से साफ पता चल रहा था कि वो मुझे खोज रही थी , पर उसकी नजर मुझे पर नहीं पड़ी । I don’t know. वो मेरे बारे में क्‍या सोच रही होगी ।

कुछ बदल रहा था घड़ी – घड़ी , वो ग़जल थी या कोई जादूई परी

मासुस सी थी हर अदा उसकी , देख रही थी मेरी नज़रे उसे चोरी – चोरी ।

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आतिश

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