मंगलवार, 13 जुलाई 2021

दु:खों कि महत्‍ता

 




दु:खों कि महत्‍ता

 

सुख हमें हर पल कमजोर करती है वहीं दु:ख हमें

अगले दु:ख से लड़ने कि ताकत देती है ।

 

सुख हमें वेशर्व बनाती है जबकी दु:ख हमें सीमा में रहने को

वाध्‍य करती है अर्थात् संतुष्‍ठी का माध्‍यम बनती है ।

 

सुख हमें भ्रम में जीने को मजबुर करती है

वही दु:ख हमें हमारे अपनों कि पहचान कराती है ।

 

सुख हमें संकुचित बुद्धिमत्ता के अधीन करती है, जबकि

दु:ख हमें संसारिक प्राकृतिक हर परिस्थिति पर

विचारने को अग्रशर करती है ।

 

सुख सुन्‍दर होकर भी दु:ख का कारण मात्र बनती है

वही दु:ख कुरूप होने के बावजुद

पुँजी रूप में सुखानुभूति का माध्‍यम बनती है ।

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आतिश

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