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Feel My Words: Dear ज़िन्दगी !
Dear ज़िन्दगी ! बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ... यार कोई आईंना लाओं, देखना है कितना बदला हूँ मैं ।। यादों कि किचड़ में रोज उतरता ह...

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रिश्वत ! एक सरकारी प्रथा हाय ! हाय रे ! ये सरकारी प्रथा ... धर्म-जात कुल का इसमें भेद नहीं दिन हो या रात वक्त का कोई खेद नहीं चपरासी ...
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Dear ज़िन्दगी ! बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ... यार कोई आईंना लाओं, देखना है कितना बदला हूँ मैं ।। यादों कि किचड़ में रोज उतरता ह...
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Dear ज़िन्दगी ! किसी ने कहा ... नींद आ रही है कल बात करते है न ... मानों सदियां गुज़र गई ... यादें आईं पर वो कल अब तक न आई / / तो...
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