रविवार, 27 जून 2021

यादें ...

 


यादें ...

यादें ! कुछ हक्कित कुछ कलपनाऐं –

जिन्‍दगी चाहें जितनी भी पुरानी हो जाऐं

ये हमेशा नई सी रहती है।

यादें ! धुल में लिपटी उस आकृति कि तरह है

जो वक्‍त के साथ और अधिक

किमती होती जाती है।

यादें ! जिसके पहलु से खुवसुरत लम्‍हों को

चुन – चुनकर उदास पड़े

हम अपने आज को सजाते हैं।

यादें ! इक राह इक डग़र है

जिसपर चलकर जिन्दगी के भीड़-भाड़ में

खोयें हम खुद ढुढं पाते हैं।

                       --- आतिश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

Feel My Words: Dear ज़िन्दगी !

    Dear ज़िन्दगी !    बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ... यार कोई आईंना लाओं, देखना है कितना बदला हूँ मैं ।।   यादों कि किचड़ में रोज उतरता ह...