शुक्रवार, 18 जून 2021
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Feel My Words: Dear ज़िन्दगी !
Dear ज़िन्दगी ! बहुत दिन हुआ तुझसे बिछड़े हुए ... यार कोई आईंना लाओं, देखना है कितना बदला हूँ मैं ।। यादों कि किचड़ में रोज उतरता ह...
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रिश्वत ! एक सरकारी प्रथा हाय ! हाय रे ! ये सरकारी प्रथा ... धर्म-जात कुल का इसमें भेद नहीं दिन हो या रात वक्त का कोई खेद नहीं चपरासी ...
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क्योंकि हम अच्छें हैं । हम अच्छे हैं कुछ देखते नहीं हम अच्छे हैं कुछ सुनते नहीं देख सुनकर भी कुछ कहते नहीं क्योंकि हम अच्छें ...
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जी चाहता है... क्यों गुजर जाते है पल , क्यों लौटकर नहीं आते सदियां वो कल। क्यों किसी के वस्ती में ठहर जानें को जी चाहता है। ...

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