मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023

Dear ज़िन्दगी !

 


Dear ज़िन्दगी !


किसी ने कहा ... नींद आ रही है
कल बात करते है न ...
मानों सदियां गुज़र गई ...
यादें आईं पर
वो कल अब तक न आई / /

तो उससे कहना कि ...
 
काश! तब ... 
"नींदों को परे रख ,
आगोश में अपने मुझे रहने दो / /
सवेरा कल का किसने देखा ,
जो कहना है अभी कहने दो / / "

दिले ख्वाईशें हर तेरी
पूरी करता मैं ... पर कमबख़्त
तू किसी और के दिल में वसती है / /

माना ! तुम अमानत
किसी और कि हो ... मेरी जान ,
मेरे ख्वावों ख्यालों में तो 
तुम अब भी रहती हो/ /

इतनी तारीफ काफी है या
शब्दों को थोड़ा और मरोरू ,
तुम कहो तो थोड़ा
झुठ और बोलूं / /

... आतिश


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