रविवार, 7 अगस्त 2022

तुम दिखती हो ।

 

 


तुम दिखती हो ।

 

भुला चुका हूँ तुम्हें
अपनी यादों से , 
अपने वादों से ।
निकालकर फेक चुका हूँ तुम्हें
ख्यालों के पन्नों से ,
ख़्वाबों के धागों से ।
हाँ ! तू अब भी आना
चाहती है रूप बदलकर ,
कभी आँखों के कोशो से 
आंसु बनकर ।
कभी चहकते महौल में
चेहरे पर उदासी बनकर ।
जब भी खड़ा होता हूँ मैं
आईनें के सामने
मुझसे पहले प्रतिबिम्ब में
तुम दिखती हो ।
जब कभी पुराने दोस्त - 
यारों से मिलता हूँ
उनकी बातों में
तुम दिखती हो ।
तुम बिन अधुरा सा हूँ मैं ,
समन्दर से घिरा सुनसान
अन्जान अकेला सा हूँ मैं ।
कहाँ छुपाऊँ मैं ख़ुदकों ,
ओढ़ लूं मिट्टी
दफ़न कर दूं मैं ख़ुदको
पर सुकून कहाँ
वहां भी मुझको ।

 

सुन! रैह जा या 
तबीयत से रुखसत
हो जा । 
रैहम कर मुझ पर
नासूर मत बना
मेरे ज़ख्मों को ।

 

@ आतिश

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सर ! बहुत बहुत धन्यवाद् ! मेरे पोस्ट पर आने के लिए ।

      हटाएं
  2. आदरणीय मैम,
    मेरी कोशिश को अपने मंच जगह देने के लिए आभार
    एवं धन्यवाद् !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. यह तो नायक पर निर्भर है कि नासूर बने या सूखकर मिट जाए
    भावाभिव्यक्ति अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद !
      आपकी प्रतिक्रिया मेरे लेखन के लिए ऊर्जा तुल्य है ...

      हटाएं
  5. मुहब्बत के साइड इफेक्ट्स खतरनाक लग रहे मुझे तो ।
    मन के भावों को भावपूर्ण शब्द दिए हैं ।

    रुकसत ** रुखसत
    रैहम**** रहम
    रैह *** रह ।
    आंखों के कोशों या कोरों । ये कोशों मुझे नहीं पता ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मैम .
      बहुत बहुत धन्यवाद्
      अपना स्नेह एवं सहयोग यूं ही बनाऐं रखें । आभार!

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. आदरणीय ,
      धन्यवाद ! मेरे पोस्ट पर आने के लिए।

      हटाएं
  7. बहुत गहरे भाव से निकली कविता . कहीं तू और कहीं तुम सम्बोधन इस तीव्रता को व्यक्त कर रहा है , जो दोष होकर भी गुण बन गया है यहां

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मैम ,
      सादर नमस्ते ।
      मेरे पोस्ट पर आने एवं प्रतिक्रिया देने के लिए
      दिल से आभार एवं धन्यवाद । यूं ही स्नेह एवं सहयोग बनाऐं रखें ।

      हटाएं

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