गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

तन्‍हां छोड़ जाती है वो.....

 


तन्‍हां छोड़ जाती है वो.....

 ना जाने किस – किस रंग में

दिल को छल जाती है वो ।

कभी ख्‍वावों कि तितली बन तो

कभी ख्‍यालों में मिल जाती है वो ।

तन्‍हाई में दर्द बनकर

आंधियों सी गुजर जाती है वो ।

कभी गहरे झील में डुबते किनारों को

तिनके सी नजर आती है वो ।

शिथिल मन और भी गहरा हो जाता है

जब सपनों में भी किसी और

का रूख कर जाती है वो ।

मायुस पलके झुक जाती है

दिल फुट – फुटकर रोने लगता है

जब सवालों के गहरें अंधेरें में 

तन्‍हां मुझें छोड़ जाती है वो ।

--- आतिश

10 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
    'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय ,
      अपनी चर्चा में शामिल करने के लिये आभार एवं धन्यवाद !

      हटाएं
  2. शिथिल मन और भी गहरा हो जाता है
    जब सपनों में भी किसी और
    का रूख कर जाती है वो ।
    मायुस पलके झुक जाती है
    दिल फुट – फुटकर रोने लगता है
    जब सवालों के गहरें अंधेरें में
    तन्‍हां मुझें छोड़ जाती है वो ।
    भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही मार्मिक व हृदयस्पर्शि रचना!
    एक एक पंक्ति दर्द को बयां कर रही है!
    शब्दों का चयन बहुत ही खूबसूरत और शानदार है!

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी गहरे झील में डुबते किनारों को

    तिनके सी नजर आती है वो
    तन्हा छोड़ जाती है वो
    बहुत ही सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. माननीय मैम,
      आपकी प्रतिकिया मेरे लिए ऊर्जा तुल्य है ।
      ह्दय से धन्यवाद !

      हटाएं
  4. आदरणीय ,
    अपना स्नेह एवं सहयोग बनाएं रखें ।
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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