उफ़ ये बेरोजगारी
उफ़ ये बेरोजगारी और इससें जुड़ी
ख्वाईशें
उम्मीदें और ढेड़ सारे ख्वाव ---
न वो खत्म
हो रही है और न ये पुरी ।
उफ़ ये बेरोजगारी
भविष्य एक
धुंध सी है सामने खड़ी –
जवरन चीड़
झांकता हूँ उस ओर
तो जलने
लगती है आँखें बेचारी ।
उफ़ ये बेरोजगारी
मालूम नहीं
युवा हूँ मैं या बुढ़ा हो चला हूँ
जवानी कब आई
पता नहीं पर जाता हुआ
रोज इसे देख
रहा हूँ मानों हो कोई जटिल बिमारी ।
उफ़ ये बेरोजगारी
बच्चा तो
बिलकुल नहीं हूँ मैं सो इतमिनान कैसे रहूँ
रोज उठता
हूँ उम्मीद लिये फिर सो जाता हूँ लियें
थपथपी तसल्ली की आधी- अधुरी ।
उफ़ ये बेरोजगारी
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आतिश
वाह!यह भी ख़ूब कहा 👌
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय धन्यवाद !
हटाएंकृप्या आगे भी प्रोत्साहित करते रहें।