मोहब्बत दामन से हो न हो मशला
नहीं
रूह की कमी जमानें भर को खलती हैं।
इजाजत हो तो परिंदे आंगन में उतरते
है वरना
सुबह की धुप भी पड़ोस की छत पर
खिलती है।
वो आइने जो हक्किते दिखाने का दम
भरा करती है
वो अक्सर झुठ को छुपा लिया करती है।
पॉव में चुभने वाले कांटों की हक्कित भी अजीव होती है
जो चला नहीं कभी वो हमारे रास्ते
में आती है।
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आतिश
बेहतरीन 👌👌👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय मैम नमस्ते !
हटाएंदिल से धन्यवाद !
उम्दा सृजन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अस्आर।
पॉव में चुभने वाले कांटों की हक्कित भी अजीव होती है
जवाब देंहटाएंजो चला नहीं कभी वो हमारे रास्ते में आती है....
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर।
आदरणीय,
हटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद ! कृप्या अपना सुझाव और सहयोग देते रहे ।
धन्यवाद !
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंएक सुंदर पेशकश आपकी आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंसादर
sorry! थोड़ी देर हो गई ।
हटाएंआदरणीय धन्यवाद ! कृप्या मार्गदर्शन करते रहें।
कृपया वर्तनी की गलतियों को ठीक करें, कई जगह हैं, जैसे :
जवाब देंहटाएंसुबह की छुप भी पड़ोस की छत पर खिलती है।
वो आइने जो हक्किते दिखाने का दम भरा करती है
वो अक्सर झुठ को छुपा लिया करती है।
रचना ठीक है।
बहुत ही अच्छी रचना!
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