बुधवार, 7 जुलाई 2021

मोहब्‍बत दामन से...

 



मोहब्‍बत दामन से हो न हो मशला नहीं

रूह की कमी जमानें भर को खलती हैं।

 

इजाजत हो तो परिंदे आंगन में उतरते है वरना

सुबह की धुप भी पड़ोस की छत पर खिलती है।

 

वो आइने जो हक्किते दिखाने का दम भरा करती है

वो अक्‍सर झुठ को छुपा लिया करती है।

 

पॉव में चुभने वाले कांटों की हक्कित भी अजीव होती है

जो चला नहीं कभी वो हमारे रास्‍ते में आती है।

--- 

आतिश 

10 टिप्‍पणियां:

  1. पॉव में चुभने वाले कांटों की हक्कित भी अजीव होती है

    जो चला नहीं कभी वो हमारे रास्‍ते में आती है....
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय,
      बहुत-बहुत धन्यवाद ! कृप्या अपना सुझाव और सहयोग देते रहे ।
      धन्यवाद !

      हटाएं
  2. एक सुंदर पेशकश आपकी आदरणीय ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. sorry! थोड़ी देर हो गई ।
      आदरणीय धन्यवाद ! कृप्या मार्गदर्शन करते रहें।

      हटाएं
  3. कृपया वर्तनी की गलतियों को ठीक करें, कई जगह हैं, जैसे :
    सुबह की छुप भी पड़ोस की छत पर खिलती है।
    वो आइने जो हक्किते दिखाने का दम भरा करती है
    वो अक्‍सर झुठ को छुपा लिया करती है।
    रचना ठीक है।

    जवाब देंहटाएं

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