जब भी तेरी बात
होती है
एक अजीब सी रात होती है ।
हर तरफ अंधेंरा ही अंधेंरा
वस चांद मेरे आंगन उतरती है।
जब भी तेरी बात होती है
आँखों में एक गहरा खालीपन
और मन का हर कोन
भरी- भरी सी होती है।
जब भी तेरी बात होती है
मेरी पुरी दुनिया उस लम्हें कि
मोहताज होती है
मेरे बाहों मे
तु तेरे बाहों में
मेरी ख्वाईंश सोती है।
जब भी तेरी बात होती है
मोहब्बत का एक खुबसुरत
मुजस्मां मेरे दिल के एकदम पास होती
है
कुछ हो न हो वस तेरे
चेहरे की नमीं याद रहती है।
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