रिश्तों की
खनक
रिश्तें-रिश्तेंदारों
कि एक अनूठी सी होड़ है ।
अंधों की वस्ती में उजालों की शोर है ।
अंधों की वस्ती में उजालों की शोर है ।
मत सुन मतलवी कदमों
की खनक
जो कभी तेरी तो कभी
मेरी ओर है ।
राहत नहीं देती
शीतलहरी की ठंडी रात भी
जो जलाते है अपने मन
का पोर-पोर है ।
यु वरसती है शर्द
आंखें मानों पलकों
के बीच ठहरा कोई निज बादल घनघोर है ।
छिल जाते है पांव ख्वावों
के भी जब
किसी गैर से अपने का
नींदों में होता ठौर है ।
बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी रचना जितनी तारीफ करूँ कम है
जवाब देंहटाएंयु वरसती है शर्द आंखें मानों पलकों
के बीच ठहरा कोई निज बादल घनघोर है ।
छिल जाते है पांव ख्वावों के भी जब
किसी गैर से अपने का नींदों में होता ठौर है ।
अक्सर दिल से रिश्ते को निभाने वाला इंसान ही रातों में रोता है, रिश्ते में छल कपट करने वाला तो घोड़े बेच कर सोता है!